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    मोतियाबिंद के दौरान क्या खाएं

    Cataract - मोतियाबिंदमोतियाबिंद के दौरान क्या खाएं

    मोतियाबिंद में क्या खाना चाहिए : अक्सर बहुत सारे लोग आँखों में मोतियाबिंद की बीमारी हो जाने पर बहुत परेशान हो जाते है| काफी समय पहले मोतियाबिंद बहुत घातक बीमारी होती थी लेकिन आजकल इसका इलाज कोई बड़ी बात नहीं है| दुनिया भर में सबसे ज्यादा लोग मोतियाबिंद की वजह से ही अपनी आँखों की रौशनी खो देते है, जिसका सबसे बड़ा कारण उन लोगो की लापरवाही होती है| 

    आपने अक्सर लोगो को ये कहते हुए सुना होगा की आँखों में कुछ दूधिया सा होने के कारण चीज़े साफ़ दिखाई नहीं देती हैं। आँखों में मौजूद इस दूधिया को ही मेडिकल की भाषा में मोतियाबिंद कहा जाता है। समय पर मोतियाबिंद का इलाज करना आवश्यक है ,क्यूंकि लम्बे समय तक इसे नज़रअंदाज़ करने या सही से इसका इलाज नहीं कराने पर यह अंधेपन का कारण बन सकता है। 

    सर्जरी के बाद जल्द ही आप चलने, पढ़ने, लिखने और टीवी देखने जैसे कार्य कर सकते हैं। हालांकि सर्जरी के बाद पहले हफ्ते के दौरान थकाने वाले कार्य न करना बेहतर है। देखने की क्षमता में सुधार पर ही निर्भर होगा कि आप ड्राइविंग कब शुरू कर सकते हैं। खाने पीने में कोई परहेज़ नहीं होता है।कुछ मामलों में मरीज़ को सर्जरी के तुरंत बाद साफ़ दिखने लगता है। हालांकि, ज़्यादातर मरीजों को एक या दो दिन बाद साफ़ नज़र आने लगता है।

    आपके मोतियाबिंद का ऑपरेशन चाहे जिस माध्यम से भी हुआ हो ,दूसरे किसी भी ऑपरेशन की तरह ही मोतियाबिंद के ऑपरेशन एक बाद आपको अपने खानपान पर खास ध्यान देना चाहिए। क्यूंकि ऑपरेशन के बाद आपका डाइट काफी हद तक इस बात का फैसला करता है की ऑपरेशन के बाद आपकी आँखें कितनी जल्दी और अच्छी तरह से ठीक होगी। 

    मोतियाबिंद के कारण 

    मोतियाबिंद क्यों होता है इसके कारणों के बारे में स्पष्ट रूप से पता नहीं है, लेकिन कुछ फैक्टर हैं जो मोतियाबिंद का रिस्क बढ़ा देते हैं:

    • उम्र का बढ़ना
    • डायबिटीज
    • अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन
    • सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक एक्सपोजर
    • मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास
    • उच्च रक्तदाब
    • मोटापा
    • आंखों में चोट लगना या सूजन
    • पहले हुई आंखों की सर्जरी
    • कार्टिस्टेरॉइड मोडिकेशन का लंबे समय तक इस्तेमाल
    • धुम्रपान

    मोतियाबिंद में क्या खाना चाहिए -: डाइट टिप्स 

    • बहुत से ऐसे भी मामले भी सामने आयें हैं जिसमे ऑपरेशन सफलतापूर्वक होने के बाद भी मरीज़ के आँख की रोशनी वापस नहीं आयी। और वापस आयी भी तो काफी कम। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद कुछ दिनों तक आपको अपने खानपीन पर खास ध्यान देना चाहिए। खानपीन में ज़रा सी भी लापरवाही आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।  ऑपरेशन के बाद आप जितना जल्दी ठीक होना चाहते हैं ,आपको अपने डाइट में उतनी ही हैल्दी  चीज़ों को शामिल करना पड़ेगा। 
    • बहुत सारे लोग इस बात से भी परेशान रहते है की अगर उनकी आँख में मोतियाबिंद की परेशानी हो जाती है तो उनको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए| मोतियाबिंद के दौरान अगर आप सावधानी नहीं रखते है तो आपकी परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और कई बार आपकी आँखों की रौशनी तक बाधित हो सकती है| लेकिन हम आपको सलाह देंगे अपने खाने पीने की चीजों के बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए|
    • कई बार इंसान अपनी मर्जी से ऐसी चीजे खा लेते है, जिसकी वजह से मोतियाबिंद की परेशानी काफी बढ़ जाती है| चलिए आज हम आपको खाने के बारे में जानकारी देते है जिनसे आपको काफी मदद मिल सकती है –
    1. अगर आपकी आँख में मोतियाबिंद की परेशानी हो जाने पर आपको विटामिन सी वाली चीजें जरूर खानी चाहिए| टमाटर, सेब और संतरे इत्यादि चीजों का सेवन सुबह शाम जरूर करना चाहिए|
    2. लहसुन, फलियां, हरी पत्तेदार सब्जियां, शलजम, गाजर इत्यादि का सेवन करने से भी आपको काफी फायदा मिल सकता है|
    3. ग्रीन टी मोतियाबिंद में बहुत लाभदायक होती है, ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसलिए रोजाना सुबह और शाम को ग्रीन टी का सेवन करने से आपको काफी राहत महसूस होती है|
    4. कद्दू, पालक, मछली और जैतून का तेल इत्यादि चीजें जिनमे विटामिन सी और विटामिन ई की मात्रा प्रचुर हो, इसका सेवन जरूर करना चाहिए|
    5. ढेरों ऐसी सब्ज़ियां जिनमे विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। आपको गोभी आलू ,गाजर ,ब्रोकली ,पत्ता गोभी ,मीठे आलू ,मीठी बेल ,को अपने खानपान में शामिल करना चाहिए। इन सभी सब्ज़ियों का सेवन करने से रिकवरी के समय होने वाली जटिलताओं की संभावना ख़तम हो जाती है।

    मोतियाबिंद के इलाज के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प है। इस ऑपरेशन में डॉक्टर द्वारा अपारदर्शी लेंस को हटाकर मरीज़ की आँख में प्राकृतिक लेंस के स्थान पर नया कृत्रिम लेंस आरोपित किया जाता है, कृत्रिम लेंसों को इंट्रा ऑक्युलर लेंस कहते हैं, उसे उसी स्थान पर लगा दिया जाता है, जहां आपका प्रकृतिक लेंस लगा होता है।

    सर्जरी के पश्चात मरीज़ के लिए स्पष्ट देखना संभव होता है। हालांकि पढ़ने या नजर का काम करने के लिए निर्धारित नंबर का चश्मा पहनने की ज़रूरत पड़ सकती है। पिछले कुछ वर्षोंके दौरान मोतियाबिंद सर्जरी रिस्टोरेटिव से रिफ्रैक्टिव सर्जरी में बदल चुकी है, यानी कि अब यह न सिर्फ मोतिया का इलाज करती है बल्कि धीरे-धीरे चश्मे पर निर्भरता को भी समाप्त करती जा रही है। आधुनिक तकनीकों द्वारा मोतियाबिंद की सर्जरी में लगाए जाने वाले चीरे का आकार घटता गया है, जिससे मरीज़ को सर्जरी के बाद बेहतर दृष्टि परिणाम एवं शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

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