मोतियाबिंद का इलाज आपकी आँखों की जाँच करने के बाद ही उचित ढंग से किया जाता है| कई बार अगर परेशानी ज्यादा नहीं है तो उसका इलाज आसानी से किया जा सकता है वरना फिर मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी के द्वारा किया जाता है| मोतियाबिंद की सर्जरी होने के बाद आँखों में संक्रमण या रक्तस्त्राव होने की सम्भावना हो सकती है| अगर आपकी आँख में थोड़ी सी परेशानी महसूस हो तो कभी भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए और ना ही कभी भी अपनी मर्जी से कोई सी भी दवाई अपनी आँखों में डालनी चाहिए| चलिए आज हम आपको मोतियाबिंद के इलाज के बारे में बताते है जिनसे आपको काफी मदद मिल सकती है –
1 – अगर आँख में मोतियाबिंद की शुरुआत हुई हो और उसकी वजह से आपकी आँख की रौशनी पर कोई परेशानी नहीं हो रही हो तो उससे परेशांन होने की जरुरत नहीं है| ऐसे में डॉक्टर किसी इलाज की सलाह नहीं देते है बल्कि आपको सावधानी और आँखों का नियमित रूप से चेक-अप करवाने के लिए कहते है|
2 – कई बार मोतियाबिंद हो जाने पर चश्मा लगाने से या पुराने चश्मे का नंबर बदलकर भी आराम मिल सकता है। कई बार डॉक्टर आपको पढ़ने या काम करने वाले स्थान पर प्रकाश की मात्रा अगर कम हो तो उससे ज्यादा प्रकाश वाले बल्ब को लगाने की सलाह देते है, जिससे आपको काफी फायदा हो सकता है।
3 – लेकिन अगर आपकी आँख का मोतियाबिंद बढ़ जाता है और आपकी आँख की रौशनी भी प्रभावित हो रही हो तो उसका इलाज बिना सर्जरी के होना मुश्किल होता है| मोतियाबिंद की सर्जरी में आपकी आँख का लेंस बदल दिया जाता है, जिससे आपकी आँख फिर से सही हो जाती है।
4 – इस प्रकार की सर्जरी में आंख के स्पष्ट बाहरी आवरण या कॉर्निया के पास एक चीरा लगाते है, फिर एक छोटे से औज़ार को आँख में डालते है। उस औजार से तरंगों का उत्सर्जन किया जाता है| उन तरंगो से लेंस नरम और टूट हो जाता है, जिससे लेंस को आसानी से आँख में से बाहर निकाल लिया जाता है और लेंस बदल दिया जाता है।
5 – दूसरे प्रकार की सर्जरी में आँखों में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है, ताकि उस बड़े छेद से आसानी से लेंस को निकाल लिया जाता है,फिर उस लेंस की जगह प्लास्टिक का लेंस लगा दिया जाता है| इस प्रकार की सर्जरी को एक्स्ट्राकैप्सुलर सर्जरी के नाम से जाना जाता है|