अक्सर आपने देखा होगा कुछ इंसानो की आँखे सामान्य नहीं दिखाई देती है| वो जब भी किसी इंसान या चीजों को देखते है तो उन्हें उस चीज की छवि साफ़ नहीं दिखाई देती है या फिर उन्हें एक चीज की दो छवि दिखाई देती है| ऐसा उनके साथ इसीलिए होता है क्योंकि उनकी आँख में भेंगापन हो जाता है| भेंगापन का इलाज अगर शुरुआत में ही हो जाए तो उसके ठीक होने की सम्भावना हो सकती है और अगर आप थोड़ी सी भी लापरवाही करते है तो इसका इलाज होना बहुत मुश्किल हो जाता है| भेंगापन तीन प्रकार का होता है, चलिए आज हम आपको भेंगापन के प्रकार बताएंगे, जिसकी मदद से आप आसानी से भेंगापन को पहचान सकते है –
1 – एसोट्रोपिया – एसोट्रोपिया भेंगापन का पहला प्रकार है| ज्यादातर बहुत छोटे शिशुओं में इस प्रकार का भेंगापन होता है| इस भेंगेपन का पता करने के लिए माँ बाप का जागरूक होना बहुत जरुरी होता है| इस प्रकार के भेंगेपन में शिशु की आँख सामने देखने की बजाय नाक की दिशा में देखती है| इस भेंगेपन का इलाज अगर शुरुआत में ही कर लिया जाए तो ठीक हो सकता है अन्यथा जिंदगी भर के लिए भेंगापन रह जाता है|
2 – एक्सोट्रोपिया – इस तरह का भेंगापन अधिकतर 1 साल से 7 साल तक के बच्चो में होता है| इस तरह के भेंगेपन में बच्चो को दो छवि या धुंधला भी दिखाई दे सकता है| एक्सोट्रोपिया में जब बच्चे देखते है तो उनकी आँखे सामने की बजाय बाहर की और होती है| जिन बच्चो में ऐसा भेंगापन हो जाए उन्हें बिना देरी किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए, जिससे उनकी बीमारी सही हो जाए| अगर आप देरी करते है तो आपके बच्चे की आँख का भेंगापन जिंदगी भर सही नहीं हो पाएगा|
3 – हाइपरट्रोपिया – भेंगेपन की सबसे खतरनाक स्थिति है, अगर किसी की आँख में ये हो जाये तो उसका इलाज होना काफी मुश्किल हो जाता है| हाइपरट्रोपिया अधिकतर 16 साल से अधिक उम्र के इंसानो में कभी भी हो सकता है| इसमें इंसान की आँखे ऊपर या भौंह की और हो जाती है| ऐसे भेंगेपन का आपको आसानी से पता चल जाएगा, इसीलिए पता चलते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाए और सही से इलाज कराए | जरा सी लापरवाही की वजह से आप देखने की क्षमता भी खो सकते है|