दृष्टिवैषम्य की परेशानी का निवारण उसकी जाँच के बाद ही अच्छी तरह से हो सकता है, इसके लिए जब आप नेत्र चिकित्सक के पास जाते है तो वो आपकी आँख के कुछ परिक्षण करके बीमारी की गंभीरता की जाँच करते है। जाँच के बाद परेशानी का सही से पता चल जाता है और इलाज में आसनी हो जाती है। कुछ लोग आँखों में परेशानी हो जाने पर अपनी या किसी दूसरे की सलाह पर मेडिकल से दवाई लेकर इस्तेमाल करने लगते है, जिसकी वजह से आँखों की छोटी सी परेशानी भी बहुत बड़ी बन जाती है, जिसके कारण उन्हें कई बार अपनी आँखों की रौशनी तक खोनी पढ़ जाती है। इसलिए हम आपको सलाह देंगे की बिना आँखों की जाँच कराए और बिना किसी नेत्र चिकित्सक से सलाह किए बिना कभी भी किसी भी दवाई का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, वरना परिणाम घातक हो सकते है। चलिए आज हम आपको दृष्टिवैषम्य के निदान के लिए कौन कौन से परिक्षण हो सकते है, इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते है, जिससे आपको काफी मदद मिल सकती है –
1 – जब आप नेत्र चिकित्सक के पास जाते है तो वो आपके सामने कुछ दुरी पर एक बोर्ड रखते है और उस पर लिखे हुए छोटे बड़े अक्षरों को पड़ने के लिए कहते है, जिससे आपकी नजर का परिक्षण होता है। अगर नजर कमजोर होती है तो आपकी आँख के हिसाब से चश्मा बना दिया जाता है।
2 – कई बार नेत्र चिकित्सक केराटोमेट्री नामक परिक्षण से आँखों की जाँच करते है। इस परिक्षण में डॉक्टर आपकी आँख के कॉर्निया की सतह को केराटोमीटर नामक उपकरण से मापते है, ऐसा करने से आपकी आँख में दृष्टिवैषम्य की परेशानी का पता चल जाता है।
3 – जो लोग कांटेक्ट लेंस का इस्तेमाल करते है, उनकी आँखों के कॉर्निया की गोलाई की जाँच की जाती है, क्योंकि अगर आपकी आँख में दृष्टिवैषम्य की परेशानी हो गई है तो कॉर्निया की गोलाई अनियमित और बदल जाती है।
4 – नेत्र चिकित्सक आपकी आँख की कॉर्नियल सतह की गोलाई को मापने के लिए कंप्यूटर की मदद लेते है, वो कॉर्नियल मैपिंग नामक परिक्षण करते है। इस प्रक्रिया में आँखों के कॉर्निया की सतह का चित्र लेने के लिए वीडियो कैमरा का उपयोग करा जाता है।
5 – कई बार आपकी आंखें तेज और धीमे प्रकाश में चीजों को कैसे देखती है, इस चीज का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर फोरोपटर नामक उपकरण का उपयोग करके आपकी आंखों की जाँच करते है और आँखों के सामने अलग अलग नंबर के लेंस लगा कर परेशानी का निवारण करते हैं।