आँखे बहुत नाजुक होने के साथ साथ हम सभी के लिए महत्वपूर्ण होती है, दृष्टिवैषम्य आँखों में होने वाली एक आम परेशानी है। अगर हमारी आँख के कॉर्निया का आकर सामान्य, चिकना है तो आँखों पर पड़ने वाला प्रकाश उस चिकनी सतह की मदद से हमारी आँखों के रेटिना पर पड़ता है, जिससे हमे छवि साफ़ दिखाई देती है। लेकिन किसी भी कारण से अगर आपकी आँख की गोलाई और उसकी सतह अगर खुरदुरी हो जाती है तो छवि धुंधली दिखाई देने लगती है। आपके कॉर्निया का आकार समानय से बदल जाता है तो आपकी आँख में कॉर्नियल दृष्टिवैषम्य की परेशानी हो सकती है।
अगर आपकी आँख के कॉर्निया की गोलाई सामान्य से ज्यादा हो जाए और आपकी आँख की लम्बाई बढ़ गई हो तो आपकी आँख पर पड़ने वाला प्रकाश आँख के रेटिना पर केंद्रित नहीं होता है बल्कि आँख के रेटिना के सामने पड़ता है जिसकी वजह से आपको दूर की चीजे साफ़ नहीं दिखाई देती है, इस परेशानी को हम निकट दृष्टि दोष के नाम से भी जानते है। लेकिन अगर आपकी आँख की गोलाई सामान्य से कम होने लगे और आपकी आँख पहले से छोटी महसूस हो तो ऐसे में आँख में पड़ने वाला प्रकाश रेटिना पर नहीं पड़ता है बल्कि वो आपकी आँख के पीछे पड़ता है, जिसकी वजह से आपको पास की चीजे साफ़ नहीं दिखाई देती है, इस परेशानी को हम दूर दृष्टि दोष के नाम से जानते है। ये दोनों परेशानी दृष्टिवैषम्य की परेशानी में लापरवाही करने से हो सकते है।
अगर आपकी आँख में दृष्टिवैषम्य की परेशानी हो जाने पर आपको आंखों पर ज़्यादा तनाव पढ़ने से बचाना चाहिए, अगर आपकी आँख पर तनाव ज्यादा पढ़ता है तो कई बार आँख में होने वाली परेशानी भयंकर रूप भी ले सकती है, जिसका निवारण करना बहुत ज्यादा मुश्किल और नामुमकिन हो जाता है। दृष्टिवैषम्य की परेशानी बच्चो में ज्यादा पाई जाती है, बच्चे इस परेशानी को समझ नहीं पाते है और ना ही बता पाते है जिसकी वजह से उनकी उम्र के साथ आँखों की परेशानी बढ़ती चली जाती है और अंत में उन्हें धुंधले के साथ साथ कम दिखाई देने लगता है, कई बार वो अंधे भी हो सकते है। इसलिए माँ बाप को अपने बच्चो की आँखों की जाँच नियमित रूप से किसी अच्छे नेत्र चिकित्सक से करानी चाहिए, जिससे वो बच्चो की आँख में होने वाली परेशानी का शुरुआत में ही पता करके उसका इलाज कर सके और आपके बच्चे की आँख स्वस्थ रहें।