बच्चो की आँखों में भेंगापन का इलाज : बहुत सारे लोग इस बात को जानना चाहते है की बच्चो की आँखों में भेंगापन हो सकता है, जी हाँ भेंगापन बच्चों में भी हो सकता है| बच्चो की आँख में भेंगापन होने का पता आसानी से नहीं लग पाता है, जन्म से लेकर 9 वर्ष तक के बच्चों में भेंगापन की समस्या ज्यादा होती है ऐसे बच्चो के माँ बाप को बहुत ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत होती है जिसका कारण है की बच्चे भेंगापन की परेशानी को बता नहीं पाते है|
यह आंखों की एक ऐसी स्थिति है जब दोनों आंखें एक दूसरे से अलग दिशा में देखती हुई प्रतीत होती है या फिर किसी एक ही चीज पर अपनी नजरों को केंद्रित नहीं कर पा रही है। इस दशा में दोनों आंखें तिरछी लग सकती है। अगर शिशु में भेंगापन की समस्या दिखे तो कुछ महीने इंतजार करिए। लेकिन शिशु के जन्म के कुछ महीने पश्चात भी शिशु की आंखों का भेंगापन स्वतः समाप्त नहीं होता है तो आप तुरंत किसी योग्य शिशु विशेषज्ञ की राय लें। क्योंकि बच्चों की आंखों का भेंगापन कई बार आंखों से जुड़ी अधिक गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है।
अगर आपको आपके बच्चे की आँखों में थोड़ी सी भी परेशानी, पढ़ाई में मन न लगना, आँख लाल होना, आंख से पानी गिरना, सिरदर्द इत्यादि चीजे दिखाई दे तो बिलकुल भी लापरवाही ना करे तुरंत अपने बच्चे की आँखों को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाए वरना आपके बच्चे की आँख की रौशनी भी जा सकती है|
भेंगापन के कारण
- जन्म के कुछ समय बाद तक शिशु किसी वस्तु पर या किसी एक दिशा में या किसी गतिमान चीज पर नजर बनाए रखने में असमर्थ होता है। 4 माह का होते-होते शिशु छोटी-छोटी वस्तुओं पर अपनी दोनों आंखों को पिक आने में सक्षम होने लगता है।
- छेह माह का होने पर शिशु की आंखों में इतना सामर्थ्य आ जाना चाहिए कि वह दूर की चीजों पर लगातार और पास की चीजों पर कुछ समय तक अपनी आंखों को केंद्रित कर सके।
- लेकिन अगर आप शिशु के चेहरे के बहुत करीब किसी वस्तु को लेकर जाएं तो उसे देखते हुए शिशु की आंखें थोड़े समय के लिए भेंगी/तिरछी पड़ सकती है।
भेंगापन के लक्षण
- भेंगापन के शिकार बच्चों के कार्निया में ड्राइनेस आने लगती है, आंख से पानी गिरता रहता है, सिरदर्द, आंखों का लाल होना इसके मुख्य लक्षण हैं। दरअसल इस बीमारी में बच्चे का एक आंख पूरी तरह स्वस्थ होता है जिससे बच्चा अपने दूसरे आंख से देखने का प्रयास ही नहीं करता। इस कारण दूसरे आंख की रोशनी कम हो जाती है। दिमाग भी उस आंख को भूलकर दूसरों पर ही निर्भर हो जाता है इसलिए बच्चे को देखने में समस्या नहीं होती। वक्त बीतने के साथ ही भेंगेपन वाले आंख में रोशनी कम होने लगती है और बच्चा अंधा हो जाता है।
- कुछ बच्चों में जन्म से ही आँखें टेढ़ी होने की समस्या होती है या यह बिना किसी कारण के शुरूआती 6 महीनों में हो जाती है। बच्चे की आँखों में स्क्विंट कुछ अन्य कारणों से भी हो सकता है, जैसे मायोपिया, एस्टिग्मेटिज्म या हाइपरमेट्रोपिया जिसमें रोशनी रेटिना पर फोकस नहीं कर पाती है।
अगर आपके नवजात शिशु की आँख में आपको भेंगापन दिखाई दे तो ये अनुवांशिक हो सकता है| छोटे बच्चो की आँख में भेंगापन की बीमारी को एम्ब्लायोपिया या लेजी आई भी कहते है| चलिए आज हम आपको कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी देंगे –
बच्चो की आँखों में भेंगापन का इलाज
1 – छोटे बच्चो की आँख में अगर भेंगापन हो जाता है तो उनकी आँख में पट्टी बांध कर इलाज किया जाता है| इसमें जिस आँख में भेंगापन होता है, उससे दूसरी आँख जिसकी रौशनी बिलकुल सही होती है उस पर पट्टी बांध देते है| ऐसा करने से उस आँख पर जोर पड़ता है जिसमे भेंगापन की शिकायत होती है और वो धीरे धीरे सही हो जाती है| कई बार इस पट्टी को कई महीने तक भी बांधनी पड़ सकती है|
2 – नवजात और जन्म वाले बच्चो की आँख में भेंगापन उनके मां बाप के कारण भी हो सकता है| लेकिन जरूरी नहीं है की माँ बाप के कारण ही भेंगापन हो, ऐसा भी होता है की घर में भेंगापन किसी को ना हो और आपके बच्चे को भेंगापन की परेशानी हो|
3 – अगर आपने अपने बच्चे की आँख का भेंगापन शुरुआत में ही पता कर लिया है तो कई बार आपके बच्चे की आँख चश्मा, आई ड्राप इत्यादि से बिलकुल ठीक हो जाती है|
4 – अगर आपके बच्चे की आँख का भेंगापन चश्मा, आई ड्राप, पट्टी और व्यायाम इत्यादि से भी ठीक नहीं हो रहा है तो आपको अपने बच्चे का ऑपरेशन करना पड़ेगा | ऑपरेशन को लेकर कभी भी लापरवाही ना करे वर्ण आपके बच्चे की आँखों की रौशनी भी जा सकती है|
5- आँखों में भेंगापन का इलाज के उपचार में अलग-अलग तरीके हो सकते हैं, उदाहरण के तौर पर आंखों के व्यायाम यानी विज़न थेरेपी, चश्मे पहनना या मोतियाबिंद का ऑपरेशन आदि। इन सब उपचारों के बाद लक्ष्य यह होता है कि बच्चे के मस्तिष्क को कमजोर आंख से तालमेल बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे उसे देखने की क्षमता में सुधार हो।
6- आंखों के व्यायाम द्वारा दी आंखों के भेंगापन को दूर करने की कोशिश की जाती है। आंखों से संबंधित यह व्यायाम नेत्र विशेषज्ञ की सलाह से आंखों के ऑपरेशन से पहले या बाद में किया जा सकता है। लेकिन मात्र आंखों के व्यायाम के द्वारा आंखों के भेंगापन को दूर नहीं किया जा सकता है।
आपके शिशु की आंखें बहुत नाजुक होती हैं और उन्हें उचित ध्यान और सुरक्षा की जरुरत होती है। यह महत्वपूर्ण है कि जन्म से ही हर स्वास्थ्य जांच के दौरान शिशु की आंखों से जुड़ी समस्याओं के लिए भी नियमित जांच कराई जाए। ऐसा इसलिए, क्योंकि शीघ्र पता चल जाने पर अधिकांश मामलों में आंखों की इन समस्याओं का सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है।