अगर आपको या आपके परिवार के किसी भी सदस्य को रेटिनिस पिगमेंटोसा की बीमारी है और वो किसी नेत्र चिकित्सक के पास जाते है। तो नेत्र चिकित्सक आपकी आँखों की जाँच करके पता करते है की परेशानी कितनी गंभीर है, इसका पता हो जाने के बाद ही सही तरीके से इलाज करा जा सकता है। नेत्र चिकित्सक आपकी आँख के पिछले हिस्से, रेटिना, ऑप्टिक डिस्क, कोरॉयड और रक्त वाहिकाओं इत्यादि चीजों की जाँच करते है। अगर आपको कभी भी रेटिनिस पिगमेंटोसा के लक्षण दिखाई दें तो कभी भी देरी नहीं करनी चाहिए वरना घातक परिणाम भुगतने पढ़ सकते है। बच्चो का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि वो कभी भी सही से इस परेशानी को नहीं बता पाते है। माँ बाप को अपने बच्चो की आँखों की जाँच नियमित अंतराल पर जरूर करवानी चाहिए, जिससे उनकी आँख में होने वाली परेशानी का पता शुरुआत में ही चल जाता है और इलाज में काफी आसानी हो जाती है। चली आज हम आपको रेटिनिस पिगमेंटोसा के निदान के लिए कौन कौन से डायग्नोस्टिक परीक्षण होते है उनके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, जिनसे आपको काफी मदद मिल सकती है –
1 – रेटिनिस पिगमेंटोसा के लिए नेत्र चिकित्सक आपकी आँख के रेटिना की जाँच करते है, जिससे परेशानी का सही से पता चल जाता है।
2 – कई बार आपकी आँख पर पढ़ने वाले इंट्राओकुलर दबाव को माप कर भी बीमारी की गंभीरता का पता चल जाता है और इलाज में आसानी हो जाती है।
3 – नेत्र चिकित्सक के पास आप जब जाते है तो स्लिट लैंप परिक्षण, रेटिना फोटोग्राफी आदि से रेटिनिस पिगमेंटोसा का सही से पता चल जाता है।
4 – अगर आपको सामने की चीजों को देखने में कोई परेशानी नहीं हो रही है और दाएं बाएं देखने में कितनी परेशानी हो रही है। इसकी जाँच के लिए डॉक्टर साइड विजन टेस्ट करते है।
5 – आपकी आँख में रेटिनिस पिगमेंटोसा की परेशानी कितनी गंभीर है, इसके लिए नेत्र चिकित्सक आपकी आँख के रेटिना में गतिविधि की जाँच करते है। जाँच करने के बाद आपकी बीमारी कितनी बढ़ चुकी है, इसका पता आसानी से चल जाता है और इलाज सही से हो सकता है।
6 – आपकी आँखे रंगो को कितना पहचान सकती है, इसकी भी जाँच करी जाती है। जैसे आप पीले और भूरे रंग की पहचान कर सकते है और नहीं। अगर आपको पहचान नहीं होती है तो इससे भी परेशानी का पता चल जाता है।