रेटिनिस पिगमेंटोसा को हम आरपी के नाम से भी जानते है, रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा आँखों में कभी भी भी एकदम से नहीं होता है। ये परेशानी आँख में हो जाने के बाद बहुत धीरे धीरे बढ़ती जाती है, इसमें आँख में उपस्थित रेटिना के अंदर फोटोरिसेप्टर कोशिका होती है, जो खराब या मरने लगती है, जिसकी वजह से आपकी नजर को बहुत ज्यादा नुकसान होता है।
रेटिनिस पिगमेंटोसा एक जेनेटिक डिसऑर्डर की परेशानी है, जिसकी वजह से आपकी आँखों की रौशनी बहुत धीरे धीरे कम होती जाती है। एक अनुमान या सर्वे के अनुसार प्रत्येक 4,000 बच्चो में से एक बच्चा रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा की बीमारी से पीड़ित होता है। अभी तक रेटिनिस पिगमेंटोसा जैसी बीमारी का कोई प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है, हालांकि इसके इलाज के लिए निरन्तर खोज जारी है। विटामिन ए से इस बीमारी में काफी राहत मिल सकती है लेकिन विटामिन ए की बहुत अधिक मात्रा में देने से आपके यकृत में परेशानी हो सकती है, इसलिए विटामिन ए का इस्तेमाल बहुत ही सावधानीपूर्वक किया जाता है।
हमारी आँख के रेटिना में दो प्रकार की कोशिकाएं पाई जाती है जिन्हे हम रॉड्स और कोन्स के नाम से जानते हैं, दोनों ही कोशिकाएं हमे किसी भी चीज को देखने में मदद करती हैं। पहले प्रकार की कोशिका अर्थात रॉड्स हमारी आँख के रेटिना के गोल आकार की बाहरी सतह के आसपास होती हैं, उसकी वजह से हमे धीमी रोशनी का भी पता चल जाता है। रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा जैसी गंभीर बीमारी सबसे पहले रॉड्स को ही प्रभावित करती हैं।
जैसे ही हमारी कोशिका पर इस बीमारी का प्रभाव पढ़ता है तो हमारी रात के समय दाएं और बाएं की चीजों को देखने की क्षमता कम होने लगती है और अगर आप लापरवाही करते है तो धीरे धीरे आप दाएं और बाएं की चीजों को देखना बंद हो सकता है। अगर आप नेत्र चिकित्सक के पास जाते है और वो जब आपकी आँखों की जाँच करते है और उन्हें रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा की बीमारी दिखाई देती है तो डॉक्टर आपके परिवार के बारे में भी पूछ सकते है, की आपके परिवार के किसी सदस्य को तो रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा की परेशानी तो नहीं है। रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा जैसी बीमारी अनुवांशिकता की वजह से भी हो सकती है। अगर आपको कभी भी दाएं और बाएं देखने में हल्की सी भी परेशानी महसूस हो रही हो तो आपको कभी भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए तुरंत किसी अच्छे नेत्र चिकित्सक के पास जाकर अपनी आँखों की जाँच करानी चाहिए।